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नौजवानों के सवाल

सृष्टि या विकासवाद?—भाग 4: मैं दूसरों को कैसे समझा सकता हूँ कि मैं सृष्टि पर क्यों विश्‍वास करता हूँ?

सृष्टि या विकासवाद?—भाग 4: मैं दूसरों को कैसे समझा सकता हूँ कि मैं सृष्टि पर क्यों विश्‍वास करता हूँ?

आप मानते हैं कि सब चीज़ों की सृष्टि की गयी है, मगर आप स्कूल में यह बात खुलकर बताने से हिचकिचाते हैं। हो सकता है आपकी स्कूल की किताबों में विकासवाद के सिद्धांत को बढ़ावा दिया जाता है, इसलिए आपको डर है कि आपके टीचर और क्लास के बच्चे आपका मज़ाक उड़ाएँगे। आप पूरे यकीन के साथ कैसे उन्हें समझा सकते हैं कि आप सृष्टि पर विश्‍वास करते हैं?

 आप ज़रूर समझा सकते हैं!

 आप शायद सोचें, ‘मैं इतना होशियार नहीं हूँ कि विज्ञान के बारे में बात करूँ और विकासवाद पर बहस करूँ।’ एक वक्‍त पर डैनयल भी ऐसा ही सोचती थी। वह कहती है, “मुझे यह सोचकर ही बुरा लगता था कि मुझे अपने टीचर और क्लास के बच्चों की बात गलत साबित करनी है।” डायना का भी कुछ यही कहना है, “जब वे विज्ञान के बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल करके बहस करते थे तो मैं उलझन में पड़ जाती थी।”

 मगर आपका मकसद बहस जीतना नहीं है। और अच्छी बात यह है कि आपको विज्ञान का बहुत बड़ा जानकार होने की ज़रूरत नहीं है। विज्ञान में बहुत होशियार न होने पर भी आप दूसरों को बता सकते हैं कि आपको  क्यों इस बात पर यकीन करना सही लगता है कि सब चीज़ों की सृष्टि की गयी है।

 इसे आज़माइए: बाइबल में इब्रानियों 3:4 में बतायी यह मामूली-सी बात कहकर आप तर्क कर सकते हैं, “हर घर का कोई-न-कोई बनानेवाला होता है मगर जिसने सबकुछ बनाया वह परमेश्‍वर है।”

 कैरल नाम की एक लड़की इब्रानियों 3:4 में बताए सिद्धांत के मुताबिक दूसरों से इस तरह तर्क करती है: “मान लीजिए आप एक घने जंगल में चल रहे हैं। वहाँ इंसानों के होने की गुंजाइश दूर-दूर तक नज़र नहीं आती। फिर तभी आपकी नज़र ज़मीन पर पड़ती है और आपको एक टूथपिक दिखायी पड़ता है। तब आप क्या कहेंगे? ज़्यादातर लोग यही कहेंगे, ‘यहाँ कोई और भी आया है।’ अगर टूथपिक जैसी छोटी-सी चीज़ किसी समझदार प्राणी के होने का सबूत देती है तो सोचिए यह पूरा विश्‍व और इसमें पायी जानेवाली सारी चीज़ों से और कितना बड़ा सबूत मिलता है!”

 अगर कोई कहे, “अगर यह सच है कि सब चीज़ों की सृष्टि की गयी है, तो फिर सृष्टिकर्ता को किसने बनाया?”

 आप कह सकते हैं, “माना कि हम सृष्टिकर्ता के बारे में सारी बातें नहीं समझ सकते। मगर इसका यह मतलब नहीं कि कोई सृष्टिकर्ता नहीं है। मिसाल के लिए, आपके मोबाइल फोन को जिसने बनाया उसके बारे में आप सारी बातें नहीं जानते होंगे। फिर भी आप मानते हैं कि उसे ज़रूर किसी ने  बनाया है, है कि नहीं? [जवाब के लिए रुकिए।] मगर सृष्टिकर्ता के बारे में ऐसी कई बातें हैं जो हम जान सकते हैं। अगर आप जानना चाहेंगे तो मुझे आपको बताने में खुशी होगी कि मैंने सृष्टिकर्ता के बारे में क्या सीखा है।”

 तैयार रहिए

 बाइबल बताती है कि “जो कोई तुम्हारी आशा की वजह जानने की माँग करता है, उसके सामने अपनी आशा की पैरवी करने के लिए हमेशा तैयार रहो, मगर ऐसा कोमल स्वभाव और गहरे आदर के साथ करो।” (1 पतरस 3:15) इसलिए अब इन दो बातों पर ध्यान दीजिए। आप क्या कहेंगे  और किस तरह कहेंगे।

  1.   आप क्या कहेंगे। यह बात बहुत मायने रखती है कि आप परमेश्‍वर से कितना प्यार करते हैं क्योंकि यही प्यार आपको उसके पक्ष में बात करने के लिए उभार सकता है। लेकिन दूसरों को सिर्फ यह बताना कि आप परमेश्‍वर से बहुत प्यार करते हैं, उन्हें यकीन नहीं दिला सकता कि परमेश्‍वर ने ही सबकुछ बनाया है। अगर आप सृष्टि में पायी जानेवाली कुछ चीज़ों की मिसालें देंगे तो आप उन्हें अच्छी तरह समझा सकते हैं कि इस बात पर क्यों यकीन किया जा सकता है कि परमेश्‍वर ने ही सबकुछ बनाया है।

  2.   आप किस तरह कहेंगे। पूरे यकीन के साथ बोलिए, मगर न तो रुखाई से और न ही ऐसे बात कीजिए मानो आप सामनेवाले को नीचा दिखा रहे हों। अगर आप लोगों की धारणाओं के बारे में आदर से बात करेंगे और इस बात को मानेंगे कि उन्हें जो चाहे मानने का अधिकार है, तो लोग आपकी बात पर गौर करना चाहेंगे।

     “मेरे खयाल से यह ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि हम जिससे बात करते हैं उसकी कभी बेइज़्ज़ती न करें, न ही ऐसे बात करें मानो हमें सबकुछ पता है। सामनेवाले को नीचा दिखाने से उस पर उलटा असर पड़ सकता है।”—ईलेन।

 अपने विश्‍वास के बारे में समझानेवाले प्रकाशन

अपने विश्‍वास की पैरवी करने के लिए तैयार रहना, मौसम में होनेवाले बदलाव के लिए तैयार रहने जैसा है

 अलीशिया नाम की एक लड़की कहती है, “अगर हम तैयारी न करें तो हमें लग सकता है कि चुप रहना ही बेहतर है वरना मुझे शर्मिंदा होना पड़ेगा।” जैसे अलीशिया ने कहा, तैयारी करना कामयाब होने के लिए ज़रूरी है। जेना कहती है, “मैं सृष्टि पर क्यों विश्‍वास करती हूँ, इसे साबित करने के लिए जब मैं पहले से कोई मिसाल सोचकर रखती हूँ जो समझने में आसान हो, तो मुझे बात करने में इतनी झिझक नहीं महसूस होती।”

 आपको ऐसी मिसालें कहाँ मिल सकती हैं? कई जवानों को इन प्रकाशनों से बहुत मदद मिली है:

 इसके अलावा, आपको “सृष्टि या विकासवाद?” श्रृंखला के पिछले लेखों को पढ़ने से भी काफी मदद मिल सकती है।

  1.  भाग 1: परमेश्‍वर पर क्यों विश्‍वास करें?

  2.  भाग 2: विकासवाद पर सवाल क्यों करें?

  3.  भाग 3: सृष्टि पर यकीन क्यों करें?

 इसे आज़माइए: ऐसी मिसालें चुनिए जो आपको  यकीन दिलाती हैं कि परमेश्‍वर ने सबकुछ बनाया है। उन्हें याद रखना आपके लिए आसान होगा और आप पूरे यकीन के साथ उनके बारे में बात कर पाएँगे। प्रैक्टिस करके देखिए कि आप अपने विश्‍वास के बारे में दूसरों को कैसे बताएँगे।