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अध्याय दो

वह “सच्चे परमेश्‍वर के साथ-साथ चलता रहा”

वह “सच्चे परमेश्‍वर के साथ-साथ चलता रहा”

1, 2. (क) नूह और उसका परिवार किस काम में लगा हुआ था? (ख) उन्हें किन मुश्‍किलों का सामना करना पड़ा था?

नूह एक चौड़ी-सी लकड़ी पर बैठा अपनी कमर सीधी करता है। वह काफी देर से एक बड़ा जहाज़ बनाने में लगा हुआ है और अब कुछ पल रुककर आराम करता है। चारों तरफ गरम-गरम तारकोल की गंध है और औज़ारों की आवाज़ गूँज रही है। नूह बैठकर उस जहाज़ पर नज़र दौड़ाता है। वह देख सकता है कि उसके बेटे कैसे जहाज़ के अलग-अलग हिस्से बनाने में जी-जान से लगे हुए हैं। उसके बेटे ही नहीं बल्कि उसकी प्यारी पत्नी और उसकी बहुएँ भी, सब कई सालों से उसके साथ मिलकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने काफी काम निपटा लिया है, लेकिन अभी-भी बहुत काम बाकी है!

2 मगर आस-पास के लोगों को लगता है कि नूह और उसके परिवार के लोग बेवकूफ हैं। जैसे-जैसे जहाज़ बनाने का काम आगे बढ़ता है, लोग यह सोचकर पहले से ज़्यादा हँसने लगते हैं कि पूरी धरती पर कोई जलप्रलय आनेवाला है। नूह जिस विपत्ति की चेतावनी देता आया है वह उन्हें एकदम बेतुका लगता है। उन्हें यकीन नहीं होता कि यह आदमी इतना बेवकूफ कैसे हो सकता है कि अपनी और अपने परिवार की सारी ज़िंदगी इस काम में बरबाद कर रहा है! लेकिन नूह का परमेश्‍वर यहोवा उसे हरगिज़ बेवकूफ नहीं समझता।

3. नूह किस मायने में परमेश्‍वर के साथ-साथ चला था?

3 बाइबल बताती है, “नूह सच्चे परमेश्‍वर के साथ-साथ चलता रहा।” (उत्पत्ति 6:9 पढ़िए।) इसका यह मतलब नहीं कि परमेश्‍वर धरती पर आकर उसके साथ-साथ चला था या नूह किसी तरह स्वर्ग गया था। इसके बजाय, नूह ने परमेश्‍वर की हर आज्ञा मानी और वह उससे बहुत प्यार करता था। यह ऐसा था मानो नूह और यहोवा दो दोस्तों की तरह साथ-साथ चल रहे थे। नूह के समय से हज़ारों साल बाद बाइबल में लिखा गया कि उसने अपने ‘विश्‍वास की वजह से दुनिया को सज़ा के लायक ठहराया।’ (इब्रा. 11:7) यह उसने कैसे किया? आज हम उसके विश्‍वास से क्या सीख सकते हैं?

टेढ़ी दुनिया में एक सीधा इंसान

4, 5. नूह के दिनों में दुनिया कैसे बद-से-बदतर होती गयी?

4 नूह ऐसी दुनिया में पला-बढ़ा जो बद-से-बदतर होती जा रही थी। उसके परदादा हनोक के दिनों से ही दुनिया बुरी थी। हनोक भी एक नेक इंसान था जो परमेश्‍वर के साथ-साथ चला था। उसने भविष्यवाणी की थी कि वह दिन ज़रूर आएगा जब उस ज़माने के बुरे लोगों को सज़ा दी जाएगी। अब नूह का ज़माना आते-आते बुराई और बढ़ गयी। यहोवा की नज़र में दुनिया बिलकुल बिगड़ चुकी थी क्योंकि हर तरफ खून-खराबा हो रहा था। (उत्प. 5:22; 6:11; यहू. 14, 15) आखिर किस वजह से दुनिया की ऐसी हालत हो गयी थी?

5 दरअसल स्वर्ग में परमेश्‍वर के कुछ बेटों यानी स्वर्गदूतों ने कुछ ऐसा किया जिसका अंजाम बहुत दुखदायी रहा। एक स्वर्गदूत ने तो बहुत पहले ही यहोवा से बगावत की थी। वह परमेश्‍वर को बदनाम करके और आदम और हव्वा को पाप में बहकाकर शैतान बन चुका था। नूह के दिनों में कुछ और स्वर्गदूत यहोवा की हुकूमत के खिलाफ बगावत करने लगे। परमेश्‍वर ने उन्हें स्वर्ग में जो काम दिया था उसे छोड़कर वे इंसानी रूप में धरती पर आ गए और उन्होंने सुंदर-सुंदर औरतों को अपनी पत्नियाँ बना लीं। वे बागी स्वर्गदूत बहुत घमंडी और स्वार्थी थे और उनका इंसानों पर बहुत बुरा असर हुआ।​—उत्प. 6:1, 2; यहू. 6, 7.

6. (क) नफिलीम की वजह से दुनिया की क्या हालत हो गयी? (ख) यहोवा ने क्या करने की ठान ली?

6 इसके अलावा, उन स्वर्गदूतों और औरतों से दोगली संतान पैदा हुई, जिन्हें बाइबल नफिलीम कहती है। नफिलीम का मतलब है, “गिरानेवाले” यानी वे जो दूसरों को गिराते हैं। वे ऊँची कद-काठी के, बहुत ही ताकतवर और खूँखार थे। उन्होंने दुनिया को हिंसा और बुरे कामों से भर दिया। सृष्टिकर्ता ने देखा कि “धरती पर इंसान की दुष्टता बहुत बढ़ गयी है और उसके मन का झुकाव हर वक्‍त बुराई की तरफ होता है।” इसलिए यहोवा ने ठान लिया कि वह 120 साल के अंदर उस दुष्ट दुनिया को मिटा देगा।​—उत्पत्ति 6:3-5 पढ़िए।

7. नूह और उसकी पत्नी के लिए अपने बेटों को बुरे असर से बचाना क्यों मुश्‍किल रहा होगा?

7 ज़रा सोचिए, ऐसी दुनिया में रहते हुए घर बसाना नूह के लिए कैसा रहा होगा। फिर भी नूह कामयाब रहा। उसे एक अच्छी पत्नी मिली। जब नूह 500 साल का हुआ तो उसकी पत्नी से उसे तीन बेटे हुए​—शेम, हाम और येपेत। * नूह और उसकी पत्नी को मिलकर आस-पास के बुरे माहौल से अपने बेटों की हिफाज़त करनी थी। अकसर छोटे लड़कों की फितरत होती है कि जब वे ‘बड़े-बड़े ताकतवर’ और ‘नामी’ आदमियों को देखते हैं तो उन्हें बहुत पसंद करने लगते हैं। नफिलीम ऐसे ही ताकतवर और नामी आदमी थे। उनके कारनामों के बहुत चर्चे होते थे और नूह और उसकी पत्नी के लिए यह मुमकिन नहीं था कि वे अपने बच्चों को ऐसी हर खबर से बचाएँ। मगर वे उन्हें यहोवा परमेश्‍वर के बारे में सच्चाई ज़रूर सिखा सकते थे जो उनके दिल को छू जाती और उन्होंने ऐसा किया भी। उन्होंने अपने बेटों को सिखाया कि यहोवा हर तरह की दुष्टता से नफरत करता है और यह भी कि दुनिया में हो रही हिंसा और बगावत देखकर यहोवा का मन कितना उदास है।​—उत्प. 6:6.

नूह और उसकी पत्नी ने इस बात का ध्यान रखा कि उनके बच्चों पर बुरे लोगों का असर न पड़े

8. समझदार माता-पिता नूह और उसकी पत्नी की तरह क्या कर सकते हैं?

8 आज के माता-पिता, नूह और उसकी पत्नी के हालात समझ सकते हैं। आज भी दुनिया हिंसा और बगावत से भरी हुई है। शहरों में अकसर आवारा लड़कों की गिरोह हुड़दंग मचाती रहती हैं। बच्चों के लिए तैयार किए गए मनोरंजन में भी मार-धाड़ दिखाया जाता है। समझदार माता-पिता अपने बच्चों को ऐसे बुरे असर से बचाने के लिए अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करते हैं। वे उन्हें शांति के परमेश्‍वर यहोवा के बारे में सिखाते हैं जो एक दिन सारी हिंसा को मिटा देगा। (भज. 11:5; 37:10, 11) बच्चों को सही परवरिश देना मुमकिन है! इसमें नूह और उसकी पत्नी कामयाब हुए थे। इसलिए उनके बेटे बड़े होकर अच्छे इंसान बने और उन्होंने ऐसी औरतों से शादी की जो उनकी तरह सच्चे परमेश्‍वर यहोवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देने के लिए तैयार थीं।

“तू अपने लिए एक जहाज़ बना”

9, 10. (क) यहोवा ने नूह को क्या आज्ञा दी जिससे उसकी ज़िंदगी बदल गयी? (ख) यहोवा ने नूह को जहाज़ के बारे में क्या हिदायतें दीं और उसे क्यों जहाज़ बनाने के लिए कहा?

9 एक दिन नूह के साथ कुछ ऐसा हुआ जिससे उसकी ज़िंदगी बदल गयी। यहोवा ने अपने इस प्यारे सेवक से बात की और उसे बताया कि वह उस दुनिया का अंत करनेवाला है। उसने नूह को आज्ञा दी, “तू अपने लिए एक जहाज़ बना। उसे बनाने के लिए तू रालदार पेड़ की लकड़ी लेना।”​—उत्प. 6:14.

10 यह जहाज़ आज के ज़माने के जैसा कोई जहाज़ नहीं था, जैसा कि कुछ लोगों का मानना है। वह बस एक बड़े बक्से जैसा था। यहोवा ने नूह को सही-सही नाप बताया कि जहाज़ कितना लंबा-चौड़ा होना चाहिए। उसने जहाज़ की बनावट के बारे में बारीक जानकारी दी और यह हिदायत भी दी कि उस पर हर तरफ, अंदर-बाहर तारकोल लगाना। यही नहीं, परमेश्‍वर ने उसे बताया कि उसे जहाज़ क्यों बनाना है, “मैं पूरी धरती पर एक जलप्रलय लानेवाला हूँ . . . धरती पर जो कुछ है वह सब मिट जाएगा।” फिर यहोवा ने नूह से एक करार किया और कहा, “तू जहाज़ के अंदर जाना, तेरे साथ तेरी पत्नी, तेरे बेटे और तेरी बहुएँ भी जाएँ।” नूह को हर जाति के कुछ जीव-जंतु भी जहाज़ के अंदर ले जाने थे। आनेवाले जलप्रलय से सिर्फ वे ज़िंदा बचते जो जहाज़ के अंदर होते!​—उत्प. 6:17-20.

नूह और उसके परिवार ने परमेश्‍वर की आज्ञा मानने के लिए मिलकर काम किया

11, 12. (क) नूह को कौन-सी भारी ज़िम्मेदारी सौंपी गयी? (ख) उसने इस ज़िम्मेदारी की तरफ कैसा रवैया दिखाया?

11 नूह को एक भारी ज़िम्मेदारी सौंपी गयी। उसे एक बहुत बड़ा जहाज़ बनाना था, करीब 437 फुट लंबा, 73 फुट चौड़ा और 44 फुट ऊँचा। वह जहाज़ आज के ज़माने में बनाए गए लकड़ी के बड़े-से-बड़े जहाज़ों से भी कई गुना बड़ा होता। क्या नूह ने यह ज़िम्मेदारी हाथ में लेने से इनकार कर दिया? क्या उसने कहा कि उसे बनाने में क्या-क्या मुश्‍किलें आ सकती हैं या फिर उसकी नाप और बनावट में फेरबदल कर दी ताकि उसे बनाना आसान हो? बाइबल बताती है, “नूह ने हर काम वैसा ही किया जैसा परमेश्‍वर ने उसे आज्ञा दी थी। उसे जैसा बताया गया था, उसने ठीक वैसा ही किया।”​—उत्प. 6:22.

12 इस काम को करने में कई साल लगे, शायद 40 से 50 साल। उन्हें पेड़ काटने थे, शहतीरें ढोकर ले जानी थीं, उन्हें काटकर आकार देना था और जोड़ना था। जहाज़ में तीन मंज़िलें होतीं, कई सारे खाने होते और एक तरफ दरवाज़ा भी होता। शायद ऊपर खिड़कियाँ और एक छत होती जो बीच में उठी हुई होती ताकि पानी नीचे बह जाए।​—उत्प. 6:14-16.

13. (क) कौन-सा काम नूह के लिए जहाज़ बनाने से भी मुश्‍किल रहा होगा? (ख) इस काम की तरफ लोगों ने कैसा रवैया दिखाया?

13 जैसे-जैसे साल गुज़रते गए, जहाज़ तैयार होता गया। नूह खुश हुआ होगा कि उसका परिवार इस काम में उसका साथ दे रहा है! नूह को एक और काम दिया गया जो शायद जहाज़ बनाने से कहीं ज़्यादा मुश्‍किल रहा होगा। बाइबल बताती है कि नूह ‘नेकी का प्रचारक’ था। (2 पतरस 2:5 पढ़िए।) उसने निडर होकर दुष्ट और भक्‍तिहीन लोगों को आनेवाले विनाश के बारे में चेतावनी देने में अगुवाई की। यह चेतावनी सुनकर लोगों ने क्या किया? सदियों बाद यीशु मसीह ने उस ज़माने का ज़िक्र करते हुए कहा कि लोग अपने रोज़मर्रा के कामों में, यानी खाने-पीने और शादी-ब्याह में इतने खोए हुए थे कि उन्होंने नूह की बात पर ‘कोई ध्यान नहीं दिया।’ (मत्ती 24:37-39) कई लोगों ने नूह और उसके परिवार का मज़ाक उड़ाया होगा। कुछ ने तो उसे धमकी दी होगी और उस पर हाथ उठाया होगा। यहाँ तक कि उन्होंने जहाज़ में तोड़-फोड़ करने की भी कोशिश की होगी।

लोग साफ देख सकते थे कि परमेश्‍वर नूह को आशीष दे रहा है, फिर भी उन्होंने उसकी खिल्ली उड़ायी और उसका संदेश नहीं सुना

14. आज मसीही परिवार नूह और उसके परिवार से क्या सीख सकते हैं?

14 फिर भी नूह और उसके परिवार ने कभी हार नहीं मानी। वे जहाज़ बनाने में लगे रहे, इसके बावजूद कि लोगों का मानना था कि यह काम करना बेकार या मूर्खता है। आज मसीही परिवार नूह और उसके परिवार के विश्‍वास से बहुत कुछ सीख सकते हैं, क्योंकि हम भी ऐसे वक्‍त में जी रहे हैं जो बाइबल के मुताबिक इस दुष्ट दुनिया के ‘आखिरी दिन’ हैं। (2 तीमु. 3:1) यीशु ने कहा था कि हमारा ज़माना नूह के ज़माने जैसा होगा। इसलिए जब लोग परमेश्‍वर के राज के संदेश पर ध्यान नहीं देते, हमारा मज़ाक उड़ाते, यहाँ तक कि हमें सताते हैं तो हमें नूह को याद करना चाहिए। ऐसी चुनौतियों का सामना करने में हम पहले नहीं हैं!

“जहाज़ के अंदर चला जा”

15. जब नूह करीब 595 साल का हुआ तो उसके किन अज़ीज़ों की मौत हो गयी?

15 सालों बाद आखिरकार जहाज़ बनकर तैयार हो गया। जब नूह 595 साल का हुआ तो उसके कुछ अपनों की मौत हो गयी। उसका पिता लेमेक मर गया। * पाँच साल बाद नूह के दादा मतूशेलह की मौत हो गयी। वह 969 साल का था। बाइबल के मुताबिक, मतूशेलह सबसे लंबी उम्र जीनेवाला इंसान था। (उत्प. 5:27) मतूशेलह और लेमेक दोनों, पहले इंसान आदम के ज़माने के लोग थे।

16, 17. (क) जब नूह 600 साल का हुआ तो उसे क्या संदेश मिला? (ख) नूह और उसका परिवार कौन-सा नज़ारा कभी नहीं भूला होगा?

16 जब कुलपिता नूह 600 साल का हुआ तो यहोवा परमेश्‍वर ने उसे एक नया संदेश दिया, “तू अपने पूरे परिवार को लेकर जहाज़ के अंदर चला जा।” परमेश्‍वर ने नूह से यह भी कहा कि वह जहाज़ में हर जाति के जीव-जंतुओं को भी ले जाए, शुद्ध जानवरों में से सात-सात जो बलिदान चढ़ाने के लिए स्वीकार होते और बाकी जानवरों की दो-दो जोड़ियाँ।​—उत्प. 7:1-3.

17 सारे जीव-जंतु जिस तरह जहाज़ की तरफ आते गए, वह नज़ारा शायद नूह और उसका परिवार कभी नहीं भूला होगा। हज़ारों की तादाद में जीव-जंतु चले आए, कुछ चलते हुए तो कुछ उड़ते हुए, कुछ रेंगते हुए तो कुछ छोटे-छोटे कदम भरते हुए और कुछ खुद को घसीटते हुए। जीव-जंतुओं में कोई बड़ा था तो कोई छोटा, कोई जंगली था तो कोई पालतू। क्या बेचारे नूह को बहुत जद्दोजेहद करके जंगली जानवरों को पकड़ना पड़ा और उन्हें हाँकते हुए जहाज़ के अंदर ले जाना पड़ा? जी नहीं। बाइबल बताती है कि सभी जीव-जंतु खुद “जहाज़ में नूह के पास गए।”​उत्प. 7:9.

18, 19. (क) जब कोई नूह के वाकए पर सवाल उठाता है तो हम उसके साथ कैसे तर्क कर सकते हैं? (ख) यहोवा ने जिस तरीके से जानवरों को बचाने का फैसला किया वह कैसे उसकी बुद्धि का सबूत है?

18 कुछ लोग शायद कहें, ‘जब उन सभी जानवरों को एक जगह बंद कर दिया गया तो वे एक-दूसरे को नुकसान पहुँचाए बिना एक-साथ कैसे रह पाए होंगे?’ ज़रा गौर कीजिए: क्या इस पूरे विश्‍व को बनानेवाले परमेश्‍वर के लिए जानवरों को काबू में रखना और ज़रूरत पड़ने पर जंगली जानवरों को पालतू बना देना नामुमकिन है? मत भूलिए कि यहोवा ने ही उन जानवरों को बनाया था। और जलप्रलय के सदियों बाद उसने लाल सागर को दो हिस्सों में बाँट दिया था और सूरज को थमा दिया था। तो क्या वह नूह के वाकए में बताया हर काम नहीं कर सकता था? बेशक कर सकता था और उसने ऐसा किया भी!

19 परमेश्‍वर चाहे तो किसी और तरीके से जानवरों को बचा सकता था। मगर उसने बुद्धिमानी से यह काम नूह को सौंपा। इससे हमें याद आता है कि उसने शुरू में इंसानों पर भरोसा करके उन्हें सभी जीव-जंतुओं की देखभाल की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। (उत्प. 1:28) आज कई माता-पिता अपने बच्चों को नूह की कहानी बताकर सिखाते हैं कि यहोवा इंसानों और जानवरों को अनमोल समझता है जिन्हें उसने बनाया है।

20. जलप्रलय से पहलेवाले हफ्ते में नूह और उसके परिवार ने क्या-क्या काम निपटाया होगा?

20 यहोवा ने नूह को बताया कि अब जलप्रलय आने में एक हफ्ता बाकी है। इतने कम समय में नूह के परिवार को बहुत सारा काम निपटाना था। ज़रा सोचिए, कितना काम रहा होगा: सारे जानवरों को क्रम से जहाज़ के खानों में ले जाना, उन सबके लिए और परिवार के लिए खाने-पीने की चीज़ें अंदर ले जाकर तरतीब से रखना और परिवार के लिए ज़रूरत की दूसरी चीज़ें ढोकर अंदर ले जाना। नूह की पत्नी और शेम, हाम और येपेत की पत्नियाँ खासकर जहाज़ के अंदर परिवार के लिए रहने लायक जगह तैयार करने में व्यस्त रही होंगी।

21, 22. (क) यह जानकर हमें क्यों हैरान नहीं होना चाहिए कि लोगों ने कोई ध्यान नहीं दिया? (ख) उन लोगों का खिल्ली उड़ाना कब बंद हुआ?

21 यह सब देखकर आस-पास के लोगों ने क्या किया? उन्होंने अब भी “कोई ध्यान न दिया,” इसके बावजूद कि वे देख सकते थे कि यहोवा कैसे नूह और उसकी मेहनत पर आशीष दे रहा है। वे साफ देख सकते थे कि इतनी तादाद में जानवर कैसे जहाज़ के अंदर चले जा रहे हैं। मगर उनके रवैए के बारे में जानकर हमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। आज भी लोग उन ढेरों सबूतों पर कोई ध्यान नहीं देते जो दिखाते हैं कि हम इस दुष्ट दुनिया के आखिरी दिनों में जी रहे हैं। और जैसे प्रेषित पतरस ने भविष्यवाणी की थी, आज जो परमेश्‍वर की चेतावनी पर ध्यान देते हैं उनका मज़ाक उड़ाया जाता है। (2 पतरस 3:3-6 पढ़िए।) नूह के आस-पास के लोगों ने भी उसकी और उसके परिवार की खिल्ली उड़ायी होगी।

22 लोगों का खिल्ली उड़ाना कब बंद हुआ? बाइबल बताती है कि जब नूह अपने परिवार और जानवरों को जहाज़ के अंदर ले गया तब “यहोवा ने जहाज़ का दरवाज़ा बंद कर दिया।” अगर खिल्ली उड़ानेवाले लोग आस-पास रहे होंगे तो परमेश्‍वर का यह काम देखकर ज़रूर उनकी बोलती बंद हो गयी होगी। अगर तब भी वे बाज़ नहीं आए तो बारिश ने ज़रूर उनका मुँह बंद कर दिया होगा, क्योंकि एक बार जब पानी बरसना शुरू हुआ तो बस बरसता गया! यह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। पूरी धरती पानी में डूब गयी, ठीक जैसे यहोवा ने कहा था।​—उत्प. 7:16-21.

23. (क) हम कैसे जानते हैं कि नूह के दिनों में दुष्टों की मौत से यहोवा खुश नहीं हुआ? (ख) आज नूह के जैसा विश्‍वास बढ़ाना क्यों बुद्धिमानी है?

23 क्या यहोवा को उन दुष्टों की मौत से खुशी हुई? जी नहीं! (यहे. 33:11) यहोवा ने उन्हें अपने तौर-तरीके बदलने और सही काम करने के लिए काफी समय दिया था। क्या वे बदल सकते थे? नूह के जीने का तरीका दिखाता है कि वे चाहे तो बदल सकते थे। नूह यहोवा के साथ-साथ चला, उसने सब बातों में उसकी आज्ञा मानी और इस तरह दिखाया कि बाकी लोग भी बच सकते थे। इस मायने में उसके विश्‍वास ने उसके ज़माने की दुनिया को सज़ा के लायक ठहराया और साबित किया कि उसकी पीढ़ी के लोग वाकई दुष्ट थे। नूह के विश्‍वास की वजह से उसकी और उसके परिवार की जान बची। अगर आप भी नूह जैसा विश्‍वास बढ़ाएँ तो आप अपनी और अपने अज़ीज़ों की जान बचा सकेंगे। उसकी तरह आप भी यहोवा परमेश्‍वर के दोस्त बनकर उसके साथ-साथ चल सकते हैं। और यह दोस्ती सदा बनी रह सकती है!

^ पैरा. 7 शुरू के उन दिनों में लोगों की बहुत लंबी उम्र होती थी। शायद वजह यह थी कि तब तक आदम और हव्वा को परिपूर्ण जीवन खोए ज़्यादा समय नहीं बीता था।

^ पैरा. 15 लेमेक ने अपने बेटे का नाम नूह रखा और मुमकिन है कि इसका मतलब “आराम” या “दिलासा” है। लेमेक ने भविष्यवाणी की थी कि नूह अपने नाम पर खरा उतरेगा और इंसानों को शापित ज़मीन पर कड़ी मेहनत करने से आराम दिलाएगा। (उत्प. 5:28, 29) लेमेक ने जीते-जी इस भविष्यवाणी को पूरा होते नहीं देखा। नूह की माँ और भाई-बहन शायद जलप्रलय में नाश हो गए थे।