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वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड की 133वीं क्लास का ग्रेजुएशन

शनिवार, सितंबर 8, 2012

वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड की 133वीं क्लास का ग्रेजुएशन

पैटरसन, न्यू यॉर्क बाइबल की शिक्षा देने का केंद्र है। यहीं पर यहोवा के साक्षियों का वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड भी चलाया जाता है। इस स्कूल से पाँच महीने का गहरा अध्ययन करने के बाद 48 विद्यार्थियों ने अपनी ट्रेनिंग खत्म की। ग्रेजुएशन के इस कार्यक्रम को 9,694 लोगों ने सुना, उनमें विद्यार्थियों के परिवार, दोस्त और दूसरे भाई-बहन भी शामिल थे जो उनकी हिम्मत बढ़ाने के लिए वहाँ आए थे।

सन्‌ 1943 से 8,000 से भी ज़्यादा अनुभवी साक्षी इस मिशनरी स्कूल से शिक्षा पा चुके हैं। इस स्कूल की खास किताब है बाइबल। इस कोर्स से विद्यार्थियों का विश्‍वास परमेश्‍वर पर और बढ़ा है और उन्होंने अपने अंदर मसीही गुण पैदा किए, ताकि वे मिशनरी काम के दौरान आनेवाली मुश्‍किलों का सामना कर सकें।

“अच्छी चीज़ों पर गौर करो।” यहोवा के साक्षियों के शासी निकाय के सदस्य एन्थनी मॉरिस इस कार्यक्रम के चेयरमैन थे। उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत फिलिप्पियों 4:8 से की। वहाँ लिखा है: जो बातें . . . अच्छी मानी जाती हैं . . . उन्हीं पर ध्यान देते रहो।

भाई मॉरिस ने कहा कि इस दुनिया में अच्छे काम बहुत कम होते हैं जिनका हम पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए अगर हम अच्छी बातों पर ध्यान लगाए रखेंगे तो इस दुनिया के बुरे असर से बचे रहेंगे। उन्होंने कहा, “अच्छी चीज़ों को ढूँढ़ो और खुद अच्छे बनों।”

उदाहरण के लिए स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता दूसरों में अच्छाई देखता है बुराई नहीं, इस तरह वह हमारे लिए एक अच्छी मिसाल कायम करता है। (भजन 130:3) भाई मॉरिस ने कहा कि अच्छी चीज़ों पर गौर करने का मतलब यह भी है कि हम “अपने भाई-बहनों की खामियों पर गौर ना करें।”

“ज्ञान पाओ मगर खुद को अधिक बुद्धिमान मत समझो।” अमरीका की शाखा समिति के सदस्य हैराल्ड कोरकर्न ने अपने भाषण का विषय सभोपदेशक 7:16 से लिया। उन्होंने कहा कि परमेश्‍वर चाहता है कि हम अपनी तालीम को सही तरीके से इस्तेमाल करें, “कहीं ऐसा ना हो कि हम खुद को दूसरों से बेहतर समझने लगें।”

भाई कोरकर्न ने बताया कि दूसरों को कोई सलाह या ताड़ना देते वक्‍त कैसे प्यार से पेश आना चाहिए। जब परमेश्‍वर दूसरों से हद-से-ज़्यादा की उम्मीद नहीं करता तो हमें भी नहीं करनी चाहिए। भाई कोरकर्न ने गुज़ारिश की, कि “अपनी बुद्धि, समझ और तालीम का सही तरीके से इस्तेमाल कीजिए।”

“ईश्‍वर के बड़े कामों को भूल न जाएं।” (भजन 78:7) शासी निकाय के सदस्य गाई पियर्स ने एक बच्चे के व्यवहार को समझाते हुए अपने भाषण की शुरूआत की। बच्चे की अच्छी और बुरी आदतों से पता चल जाता है कि उसके माँ-बाप कैसे हैं। (नीतिवचन 20:11) उसी तरह जिस तरह का हम व्यवहार करते हैं उससे पता चलता है कि हमारा स्वर्ग में रहनेवाला पिता कैसा है। “परमेश्‍वर के बच्चों और शैतान के बच्चों की पहचान इस बात से होती है: हर कोई जो नेकी के काम नहीं करता रहता वह परमेश्‍वर से नहीं है, न ही वह परमेश्‍वर से है जो अपने भाई से प्यार नहीं करता।”—1 यूहन्‍ना 3:10.

भाई पियर्स ने बताया कि विद्यार्थियों के मसीही गुणों की वजह से जिनमें नम्रता भी शामिल है, उन्हें स्कूल में बुलाया गया है। इसलिए ज़रूरी है कि वे आगे भी नम्रता दिखाते रहें। उन्होंने स्कूल में जो शिक्षा हासिल की है उससे वे दूसरों से बड़े नहीं बन जाते। इसके बजाय यह तालीम उनकी मदद करेगी कि वे नम्रता दिखाने में एक अच्छी मिसाल कायम करें। इस तरह वे भाई-बहनों के बीच एकता बनाए रखने में मदद देंगे। (भजन 133:1) भाई पियर्स ने कहा: “अब जब आपने बाइबल की गहरी समझ हासिल कर ली है तो उसका इस्तेमाल इस तरह कीजिए जिससे परमेश्‍वर के साथ आपका रिश्‍ता दिनों-दिन और मज़बूत होता चला जाए।”

“हमें जो करना चाहिए था, बस वही हमने किया है।” परमेश्‍वर के सेवा स्कूल विभाग के ओवरसियर विलियम सेमुयलसन ने विद्यार्थियों से पूछा: “अगर हमें परमेश्‍वर की सेवा में कोई ज़िम्मेदारी दी गयी और आप उससे ज़्यादा खुश नहीं हैं, तो आप क्या करेंगे?” हम लूका 17:7-10 में लिखी बात से सबक सीख सकते हैं। वहाँ लिखा है: “जब वे सब काम कर चुको जो तुम्हें दिए गए हैं, तो कहो, ‘हम निकम्मे दास हैं। हमें जो करना चाहिए था, बस वही हमने किया है।’” अगर हम अपने मालिक यहोवा से खुद की तुलना करें तो हम “निकम्मे” हैं।

कई हफ्तों तक विद्यार्थियों ने खूब मन लगाकर क्लास में पढ़ाई की। कुछ लोगों के लिए क्लास में बैठकर सीखना आसान नहीं था। लेकिन भाई सेमुयलसन ने कहा कि “आपको जो करना चाहिए था आपने वही किया है। और आप देख सकते हैं कि इससे आपका विश्‍वास मज़बूत हुआ है।” भाई सेमुयलसन ने यह कहते हुए अपनी बात खत्म की: “हमारी दुआ है कि विश्‍वास योग्य दास की तरह आप भी अपनी ज़िम्मेदारी की कदर करते हुए इस जहान के शिक्षक की सेवा करेंगे।”

“मुसीबत के दौरान भरोसा रखिए कि यहोवा आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगा।” परमेश्‍वर के सेवा स्कूल विभाग के सहायक ओवरसियर सैम रॉबरसन ने विद्यार्थियों को बताया कि कई बार आपको निराशा के बादल आ घेरेंगे। उन्होंने बताया कि जब कभी आप ऐसा महसूस करें तो बाइबल में दिए उदाहरणों पर गौर कीजिए कि कैसे यहोवा ने मुसीबत के वक्‍त में उनका साथ निभाया। इस तरह आपको भरोसा मिलेगा कि परमेश्‍वर आपका साथ भी कभी नहीं छोड़ेगा। मिसाल के लिए मूसा ने यहोशू को भरोसा दिलाया: “यहोवा . . . न तो तुझे धोखा देगा और न छोड़ देगा।” (व्यवस्थाविवरण 31:8) अपने आखिरी वक्‍त में यहोशू कह सका: “जितनी भलाई की बातें हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमारे विषय में कहीं उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही।”—यहोशू 23:14.

यहोवा परमेश्‍वर अपने सेवकों से वादा करता है: “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, न ही कभी त्यागूंगा।” (इब्रानियों 13:5) याद रखो यहोवा के नाम का मतलब है कि वह अपने सेवकों की खातिर कोई भी भूमिका अदा कर सकता है। यहोवा हमसे वादा करता है कि वह ऐसा ज़रूर करेगा। भाई रॉबरसन ने कहा: “कभी हिम्मत मत हारना।” यकीन रखिए, वह कभी-कभी-कभी आपको शर्मिंदा नहीं होने देगा।

“संदेश सुनानेवालों की आवाज़ सारी धरती पर गूँज उठी।” (रोमियों 10:18) गिलियड स्कूल के शिक्षक मार्क न्यूमैर के भाग में वे अनुभव फिर से लोगों के सामने पेश किए गए जो विद्यार्थियों को प्रचार के दौरान हुए थे। उदाहरण के लिए दक्षिण अफ्रीका का एक जोड़ा तीन औरतों से मिला जो उन्हीं के देश से थीं और उन्होंने उनसे ज़ुलू और होसा भाषा में बात की। श्री लंका का एक जोड़ा एक भारतीय आदमी से मिला जिसकी पत्नी और बेटी श्री लंका में रहते हैं। उस आदमी ने कभी बाइबल नहीं देखी थी इसलिए उस जोड़े ने उसे एक बाइबल दे दी।

“अच्छे काम के लिए पूरी तरह से तैयार।” लेखन समिति की मदद करनेवाले भाई जीन स्मॉली ने दो जोड़ों का इंटरव्यू लिया। दोनों सियरा लिओन के हैं और उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें रोज़मर्रा के कामों के लिए रोज़ाना कुँए से पानी निकालना पड़ता था। इस मुश्‍किल के बावजूद वे 50 लोगों को बाइबल सिखा रहे थे जिससे उन्हें बड़ी खुशी मिलती थी। इस खुशी के सामने वो मुसीबतें कुछ भी नहीं थीं। उन दोनों जोड़ों ने गिलियड स्कूल में सिखायी बातों की बहुत कदर दिखायी। इस स्कूल ने उन्हें अच्छे कामों के लिए हर तरह से तैयार किया।—2 तीमुथियुस 3:16, 17.

“अंत तक धीरज रखो और उसके बाद भी।” शासी निकाय के सदस्य गैरिट लॉश ने कार्यक्रम का खास भाषण दिया। उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत में लंबी दौड़ की मिसाल दी। उन्होंने बताया कि एक खिलाड़ी को जीतने के लिए ज़रूरी है कि वह अंत तक हार ना माने, जिसके लिए उसे अपनी ताकत का सही इस्तेमाल करना होता है। किसी भी खेल में सिर्फ एक विजेता होता है लेकिन मसीही दौड़ में जो अंत तक धीरज रखेंगे और हार नहीं मानेंगे वे सब विजेता कहलाएँगे।

धीरज का मतलब है लगातार परमेश्‍वर की सेवा करते रहना, मुसीबतों, मुश्‍किलों, परीक्षा या निराशा के दौर में हिम्मत ना हारना। यीशु ने कहा: “जो अंत तक धीरज धरता है, वही उद्धार पाएगा।” (मत्ती 24:13) इस बात से हमें कितनी हिम्मत मिलती है कि यहोवा और यीशु हमारे धीरज को नज़रअंदाज़ नहीं करते! इसके बाद भाई लॉश ने कई बातें बतायीं कि कैसे हम मुसीबत के दौर में धीरज रख सकते हैं। उनमें से कुछ ये हैं:

  • पहली, परमेश्‍वर से प्रार्थना कीजिए जो “धीरज . . . देनेवाला” और “प्रति दिन हमारा बोझ” उठानेवाला है।—रोमियों 15:5; भजन 68:19.

  • दूसरी, ठान लीजिए कि आप कमज़ोर नहीं पड़ेंगे। भरोसा रखिए कि “परमेश्‍वर विश्‍वासयोग्य है और वह तुम्हें ऐसी किसी भी परीक्षा में नहीं पड़ने देगा जो तुम्हारी बरदाश्‍त के बाहर हो, मगर परीक्षा के साथ-साथ वह उससे निकलने का रास्ता भी निकालेगा ताकि तुम इसे सहन कर सको।”—1 कुरिंथियों 10:13.

  • तीसरी, अपनी मसीही आशा को ओझल मत होने दीजिए। “उस खुशी के लिए जो उसके [यीशु] सामने थी, यातना की सूली पर मौत सह ली”—इब्रानियों 12:2.

भाई लॉश ने ज़ोर दिया कि अब हमारी दौड़ खत्म होनेवाली है, इसलिए यह समय हिम्मत हारने का नहीं है। “उस दौड़ में जिसमें हमें दौड़ना है धीरज से दौड़ते रहें।”—इब्रानियों 12:1.

कार्यक्रम के आखिर में ग्रेजुएट हुए विद्यार्थियों में से एक ने सबकी तरफ से एक कदरदानी भरा खत पढ़ा। जिसमें उन्होंने बताया कि वे इस स्कूल से मिली शिक्षा के बहुत शुक्रगुज़ार हैं। बाइबल के गहरे अध्ययन से ना सिर्फ परमेश्‍वर के मकसद के बारे में उनकी समझ बढ़ी है बल्कि उनका विश्‍वास भी बहुत मज़बूत हुआ है। उन्होंने खत में लिखा कि “हमने ठान लिया कि जो भी अच्छी बातें हमने सीखी हैं उन्हें हम अपनी ज़िंदगी में लागू करेंगे।”