भजन 119:1-176

א [आलेफ ] 119  सुखी हैं वे जो निर्दोष चाल चलते हैं,जो यहोवा के कानून पर चलते हैं।+   सुखी हैं वे जो उसके याद दिलाने पर हिदायतें मानते हैं,+जो पूरे दिल से उसकी खोज करते हैं।+   वे कोई भी बुरा काम करने की आदत नहीं बनाते,वे उसकी राहों पर चलते हैं।+   तूने आज्ञा दी है कि तेरे आदेश सख्ती से माने जाएँ।+   मैं यही चाहता हूँ कि मैं अटल बना रहूँ*+ताकि तेरी विधियों का पालन करता रहूँ!   फिर मैं तेरी सभी आज्ञाओं पर गौर करूँगाऔर शर्मिंदा नहीं किया जाऊँगा।+   जब मैं तेरे नेक फैसलों के बारे में सीखूँगा,तो मैं सीधे-सच्चे मन से तेरी तारीफ करूँगा।   मैं तेरे नियमों को मानूँगा। तू मुझे कभी पूरी तरह छोड़ न देना। ב [बेथ ]   एक जवान कैसे साफ-सुथरी ज़िंदगी बिता सकता है? तेरे वचन के मुताबिक सावधानी बरतकर।+ 10  मैं पूरे दिल से तेरी खोज करता हूँ। तू मुझे अपनी आज्ञाओं से भटकने न देना।+ 11  मैं तेरी बातें दिल में संजोए रखता हूँ+ताकि तेरे खिलाफ पाप न करूँ।+ 12  हे यहोवा, तेरी तारीफ होती रहे,तू मुझे अपने नियम सिखा। 13  मैं अपने होंठों से तेरे सुनाए सभी फैसलों का ऐलान करता हूँ। 14  तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनसे मुझे खुशी मिलती है,+कीमती-से-कीमती चीज़ों से बढ़कर खुशी मिलती है।+ 15  मैं तेरे आदेशों के बारे में गहराई से सोचूँगा*+और तेरी राहों का ध्यान रखूँगा।+ 16  मैं तेरी विधियों से लगाव रखता हूँ। मैं तेरा वचन नहीं भूलूँगा।+ ג [गिमेल ] 17  अपने सेवक के साथ भलाई करताकि मैं जीता रहूँ और तेरे वचन का पालन करूँ।+ 18  मेरी आँखें खोल देताकि मैं तेरे कानून की लाजवाब बातें साफ देख सकूँ। 19  मैं देश में बस एक परदेसी हूँ।+ मुझसे अपनी आज्ञाएँ न छिपा। 20  मैं तेरे न्याय-सिद्धांतों के लिए हर वक्‍त तरसता हूँ,मेरे अंदर यह धुन समायी रहती है। 21  तू गुस्ताखों को डाँट लगाता है,उन शापित लोगों को, जो तेरी आज्ञाओं से भटक जाते हैं।+ 22  मेरी बदनामी और मेरा अपमान दूर कर दे,क्योंकि मैंने वे हिदायतें मानी हैं जो तू याद दिलाता है। 23  जब हाकिम साथ बैठकर मेरे खिलाफ बोलते हैं,तब भी तेरा यह सेवक तेरे नियमों के बारे में गहराई से सोचता है।* 24  तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनसे मैं लगाव रखता हूँ,+ये मेरे लिए सलाहकार हैं।+ ד [दालथ ] 25  मैं धूल में पड़ा हूँ।+ अपने वचन के मुताबिक मेरी जान की हिफाज़त कर।+ 26  मैंने अपने सभी कामों के बारे में तुझे बताया और तूने मुझे जवाब दिया,तू मुझे अपने नियम सिखा।+ 27  मुझे अपने आदेशों का मतलब* समझाताकि मैं तेरे आश्‍चर्य के कामों के बारे में गहराई से सोचूँ।*+ 28  दुख के मारे मेरी नींद उड़ गयी है। अपने वचन के मुताबिक मुझे मज़बूत कर। 29  छल-कपट के रास्ते से मुझे दूर रख+और अपना कानून देकर मुझ पर कृपा कर। 30  मैंने वफादारी की राह चुनी है।+ मैं यह बात समझता हूँ कि तेरे फैसले सही हैं। 31  तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनसे मैं लिपटा रहता हूँ।+ हे यहोवा, मुझे निराश* न होने दे।+ 32  मैं तेरी आज्ञाओं की राह पर पूरे जोश से चलूँगा,*क्योंकि तूने मेरे दिल में उसके लिए जगह बनायी है।* ה [हे ] 33  हे यहोवा, तू अपने नियमों की राह मुझे सिखा,+मैं अंत तक उस राह पर चलता रहूँगा।+ 34  मुझे समझ दे ताकि मैं तेरे कानून का पालन करूँऔर पूरे दिल से उस पर चलता रहूँ। 35  अपनी आज्ञाओं की डगर पर मुझे ले चल,+क्योंकि मुझे उससे खुशी मिलती है। 36  तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनकी तरफ मेरे मन को झुका,इसे बेईमानी की कमाई* की तरफ झुकने न दे।+ 37  मेरी आँखों को बेकार की चीज़ों से फेर दे,+मुझे अपनी राह पर ले चल ताकि मेरी जान की हिफाज़त हो। 38  तू अपने सेवक से किया वादा निभा*ताकि तेरा डर माना जाए।* 39  मेरी बदनामी दूर कर जिससे मैं डरता हूँ,क्योंकि तेरे फैसले सही हैं।+ 40  देख, मैं तेरे आदेशों के लिए कितना तरसता हूँ। अपनी नेकी की वजह से मेरी जान की हिफाज़त कर। ו [वाव ] 41  हे यहोवा, तू अपने वादे के* मुताबिकमुझसे प्यार* करे,+ मेरा उद्धार करे, 42  तब मैं उसे जवाब दूँगा जो मुझ पर ताना कसता है,क्योंकि मैं तेरे वचन पर भरोसा रखता हूँ। 43  मेरे मुँह से सच्चाई का वचन पूरी तरह हटा न देना,क्योंकि मैं तेरे फैसलों की आस लगाता हूँ।* 44  मैं हमेशा तेरे कानून का पालन करूँगा,सदा तक उसे मानूँगा।+ 45  मैं एक महफूज़* जगह चला-फिरा करूँगा,+क्योंकि मैं तेरे आदेशों की खोज करता हूँ। 46  तू जो हिदायतें याद दिलाता है, वे मैं राजाओं के सामने बताऊँगाऔर शर्मिंदा महसूस नहीं करूँगा।+ 47  मैं तेरी आज्ञाओं से लगाव रखता हूँ,हाँ, मैं उनसे प्यार करता हूँ।+ 48  मैं हाथ उठाकर तुझसे प्रार्थना करूँगा,क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं से प्यार करता हूँ+और मैं तेरे नियमों के बारे में गहराई से सोचूँगा।*+ ז [जैन ] 49  अपने सेवक से किया वादा याद कर,जिसके ज़रिए तू मुझे आशा देता है।* 50  दुख-तकलीफों में यही मुझे दिलासा देता है,+क्योंकि तेरी बातों ने मेरी जान की हिफाज़त की है। 51  गुस्ताख लोग बढ़-चढ़कर मेरी खिल्ली उड़ाते हैं,मगर मैं तेरे कानून की राह से दूर नहीं जाता।+ 52  हे यहोवा, मैं अतीत के तेरे फैसले याद करता हूँ+और उनसे दिलासा पाता हूँ।+ 53  मैं गुस्से की आग से धधक रहा हूँ,उन दुष्टों की वजह से जो तेरा कानून मानना छोड़ देते हैं।+ 54  मैं जहाँ कहीं रहूँ,* तेरी विधियाँ मेरे लिए गीत हैं। 55  हे यहोवा, रात के वक्‍त मैं तेरा नाम याद करता हूँ+ताकि तेरे कानून पर चलता रहूँ। 56  यह हमेशा से मेरी आदत रही है,क्योंकि मैंने तेरे आदेशों का पालन किया है। ח [हेथ ] 57  यहोवा मेरा भाग है,+मैंने तेरे वचनों को मानने का वादा किया है।+ 58  मैं पूरे दिल से तुझसे फरियाद करता हूँ,+अपने वादे के* मुताबिक मुझ पर कृपा कर।+ 59  मैंने अपने तौर-तरीकों को जाँचा हैताकि तू जो हिदायतें याद दिलाता है उन्हें दोबारा मानूँ।+ 60  मैं तेरी आज्ञाएँ फुर्ती से मानता हूँ, देर नहीं करता।+ 61  दुष्ट के रस्से मुझे जकड़ लेते हैं,मगर मैं तेरा कानून नहीं भूलता।+ 62  मैं तेरे नेक फैसलों के लिएआधी रात को उठकर तेरा शुक्रिया अदा करता हूँ।+ 63  मैं उन सबका दोस्त हूँ जो तेरा डर मानते हैं,जो तेरे आदेशों का पालन करते हैं।+ 64  हे यहोवा, तेरे अटल प्यार से धरती भर गयी है,+तू मुझे अपने नियम सिखा। ט [टेथ ] 65  हे यहोवा, तूने अपने वचन के मुताबिकअपने सेवक के साथ भलाई की है। 66  मुझे समझदारी से काम लेना और ज्ञान की बातें सिखा,+क्योंकि मैंने तेरी आज्ञाओं पर भरोसा रखा है। 67  सताए जाने से पहले मैं भटक जाया करता था,*मगर अब मैं तेरी बातें मानता हूँ।+ 68  तू भला है,+ तेरे काम भले हैं। तू मुझे अपने नियम सिखा।+ 69  गुस्ताख लोग झूठे इलज़ाम लगाकर मुझे बदनाम करते हैं,मगर मैं पूरे दिल से तेरे आदेशों का पालन करता हूँ। 70  उनका दिल कठोर है,*+मगर मैं तेरे कानून से लगाव रखता हूँ।+ 71  मुझे जो दुख दिया गया वह मेरे अच्छे के लिए ही था,+इसलिए मैं तेरे नियम सीख पाया। 72  तेरा सुनाया हुआ कानून मेरे लिए अच्छा है,+सोने-चाँदी के हज़ारों टुकड़ों से कहीं बढ़कर है।+ י [योध ] 73  तेरे हाथों ने मुझे बनाया, मेरी रचना की, मुझे समझ दे ताकि मैं तेरी आज्ञाएँ सीखूँ।+ 74  तेरा डर माननेवाले मुझे देखते हैं और मगन होते हैं,क्योंकि तेरा वचन मेरी आशा है।*+ 75  हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि तेरे फैसले सही हैं+और तूने अपनी वफादारी की वजह से मुझे दुख दिया है।+ 76  तू अपने अटल प्यार+ से मुझे दिलासा दे,ठीक जैसे तूने अपने सेवक से वादा किया है।* 77  मुझ पर दया कर ताकि मैं जीता रहूँ,+क्योंकि मैं तेरे कानून से लगाव रखता हूँ।+ 78  गुस्ताख लोग शर्मिंदा किए जाएँ,क्योंकि वे बेवजह* मेरे साथ बुरा करते हैं। मगर मैं तेरे आदेशों के बारे में गहराई से सोचूँगा।*+ 79  जो तेरा डर मानते हैंऔर उन हिदायतों को जानते हैं जो तू याद दिलाता है,वे मेरे पास लौट आएँ। 80  तेरे नियम मानने में मेरा दिल निर्दोष पाया जाए+ताकि मैं शर्मिंदा न किया जाऊँ।+ כ [काफ ] 81  तेरी तरफ से मिलनेवाले उद्धार के लिए मैं तरस रहा हूँ,+क्योंकि तेरा वचन मेरी आशा है।* 82  मेरी आँखें तेरी बातों के लिए तरसती हैं+और मैं कहता हूँ, “तू मुझे कब दिलासा देगा?”+ 83  मैं धुएँ में सिकुड़ी मशक जैसा हो गया हूँ,फिर भी मैं तेरे नियम नहीं भूलता।+ 84  तेरे सेवक को और कितने दिन इंतज़ार करना होगा? मेरे सतानेवालों को तू कब सज़ा देगा?+ 85  गुस्ताख लोग, जो तेरे कानून को तुच्छ समझते हैं,मेरे लिए गड्‌ढे खोदते हैं। 86  तेरी सारी आज्ञाएँ भरोसेमंद हैं। लोग बेवजह मुझे सताते हैं, मेरी मदद कर!+ 87  उन्होंने मुझे धरती से मानो मिटा ही दिया,मगर मैंने तेरे आदेश नहीं छोड़े। 88  अपने अटल प्यार की वजह से मेरी जान की हिफाज़त करताकि तू जो हिदायतें याद दिलाता है उन्हें मैं मानूँ। ל [लामेध ] 89  हे यहोवा, तेरा वचन सदा तक स्वर्ग में कायम रहेगा।+ 90  तू पीढ़ी-पीढ़ी तक विश्‍वासयोग्य बना रहेगा।+ तूने धरती को मज़बूती से कायम किया है, इसलिए यह अब तक टिकी है।+ 91  वे* तेरे न्याय-सिद्धांतों की वजह से आज तक बने हैं,क्योंकि वे सब तेरे सेवक हैं। 92  अगर मुझे तेरे कानून से लगाव न होता,तो मैं दुख झेलते-झेलते मिट चुका होता।+ 93  मैं तेरे आदेश कभी नहीं भूलूँगा,क्योंकि उनके ज़रिए तूने मेरी जान की हिफाज़त की है।+ 94  मैं तेरा हूँ, मुझे बचा ले,+क्योंकि मैंने तेरे आदेशों की खोज की है।+ 95  दुष्ट मुझे नाश करने की ताक में रहते हैं,मगर मैं उन हिदायतों पर पूरा ध्यान देता हूँ जो तू याद दिलाता है। 96  मैंने सब खरी* बातों की एक सीमा देखी है,मगर तेरी आज्ञा की कोई सीमा नहीं।* מ [मेम ] 97  मैं तेरे कानून से कितना प्यार करता हूँ!+ सारा दिन उस पर गहराई से सोचता हूँ।*+ 98  तेरी आज्ञा मुझे मेरे दुश्‍मनों से ज़्यादा बुद्धिमान बनाती है,+क्योंकि यह हमेशा मेरे साथ रहती है। 99  जितने लोग मुझे सिखाते हैं, उन सबसे ज़्यादा अंदरूनी समझ मुझमें है,+क्योंकि तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनके बारे में मैं गहराई से सोचता हूँ।* 100  मैं बुज़ुर्गों से ज़्यादा समझ से काम लेता हूँ,क्योंकि मैं तेरे आदेशों का पालन करता हूँ। 101  मैं किसी भी बुरे रास्ते पर चलने से इनकार करता हूँ+ताकि मैं तेरे वचन पर चलता रहूँ। 102  मैं तेरे न्याय-सिद्धांतों से हटकर दूर नहीं जाता,क्योंकि तूने मुझे सिखाया है। 103  तेरी बातें मेरी जीभ को मीठी लगती हैं,मेरे मुँह को शहद से भी मीठी लगती हैं!+ 104  तेरे आदेशों की वजह से मैं समझ से काम लेता हूँ।+ इसीलिए मैं हर झूठी राह से नफरत करता हूँ।+ נ [नून ] 105  तेरा वचन मेरे पाँव के लिए एक दीपक है,मेरी राह के लिए रौशनी है।+ 106  मैंने शपथ खाकर वादा किया है कि तेरे नेक फैसलों को मानूँगाऔर मैं इसे ज़रूर पूरा करूँगा। 107  मुझे बहुत दुख दिया गया है।+ हे यहोवा, अपने वचन के मुताबिक मेरी जान की हिफाज़त कर।+ 108  हे यहोवा, तुझसे बिनती हैकि तू तारीफ की मेरी स्वेच्छा-बलियों* से खुश हो+और मुझे अपने न्याय-सिद्धांत सिखा।+ 109  मेरी ज़िंदगी हर पल खतरे में है,फिर भी मैं तेरा कानून नहीं भूला हूँ।+ 110  दुष्टों ने मेरे लिए फंदा बिछाया है,मगर मैं तेरे आदेशों से नहीं भटका हूँ।+ 111  तू जो हिदायतें याद दिलाता है, उन्हें मैं हमेशा की जागीर* मानता हूँ,क्योंकि इनसे मेरे दिल को खुशी मिलती है।+ 112  मैंने ठान लिया है,*मैं सारी ज़िंदगी तेरे नियम मानूँगा,आखिरी साँस तक मानता रहूँगा। ס [सामेख ] 113  मैं आधे-अधूरे मनवालों से* नफरत करता हूँ,+मगर मैं तेरे कानून से प्यार करता हूँ।+ 114  तू मेरा आसरा है, मेरी ढाल है,+क्योंकि तेरा वचन मेरी आशा है।*+ 115  बुरे लोगो, मुझसे दूर रहो+ताकि मैं अपने परमेश्‍वर की आज्ञाएँ मानूँ। 116  तू अपने वादे के* मुताबिक मुझे सहारा दे+ताकि मैं जीता रहूँ।मेरी आशा को निराशा में न बदलने दे।*+ 117  मुझे सहारा दे ताकि मैं बच जाऊँ,+तब मैं तेरे नियमों पर हमेशा ध्यान करूँगा।+ 118  तू उन सबको ठुकरा देता है जो तेरे नियमों से भटक जाते हैं,+क्योंकि वे झूठे हैं, धोखेबाज़ हैं। 119  तू धरती के सब दुष्टों को निकाल फेंकता है,मानो वे धातु-मल हों जो किसी काम का नहीं होता,+ इसलिए तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनसे मैं प्यार करता हूँ। 120  तेरे खौफ से मेरा शरीर काँप उठता है,तेरे फैसलों से मैं डरता हूँ। ע [ऐयिन ] 121  मैंने न्याय और नेकी की है। मुझे उनके हवाले न कर जो मुझ पर ज़ुल्म ढाते हैं! 122  अपने सेवक को सलामती का यकीन दिला,गुस्ताख लोगों को मुझ पर ज़ुल्म ढाने न दे। 123  तेरी तरफ से मिलनेवाले उद्धार और तेरे नेक वादे* के लिए आस लगाते-लगातेमेरी आँखें थक गयी हैं।+ 124  अपने सेवक को अपने अटल प्यार का सबूत दे,+तू मुझे अपने नियम सिखा।+ 125  मैं तेरा सेवक हूँ, मुझे समझ दे+ताकि उन हिदायतों को जान सकूँ जो तू याद दिलाता है। 126  यहोवा के कार्रवाई करने का समय आ गया है,+क्योंकि उन्होंने तेरा कानून तोड़ा है। 127  इसीलिए मैं तेरी आज्ञाओं से प्यार करता हूँ,सोने से ज़्यादा, हाँ, शुद्ध* सोने से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ।+ 128  इसलिए मैं तेरी हर हिदायत* को सही मानता हूँ,+हर झूठी राह से नफरत करता हूँ।+ פ [पे ] 129  तू जो हिदायतें याद दिलाता है वे लाजवाब हैं। इसीलिए मैं उनका पालन करता हूँ। 130  तेरे वचनों के खुलने से रौशनी मिलती है,+जिन्हें तजुरबा नहीं उन्हें समझ मिलती है।+ 131  मैं मुँह खोलकर आह भरता* हूँ,क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं के लिए तरसता हूँ।+ 132  तेरे नाम से प्यार करनेवालों के साथ जिस तरह पेश आना तेरा नियम है,उसके मुताबिक मेरी तरफ मुड़, मुझ पर कृपा कर।+ 133  तू अपनी कही बात के मुताबिक मेरे कदमों को राह दिखा,*किसी भी तरह की दुष्टता को मुझ पर अधिकार न करने दे।+ 134  ज़ुल्म करनेवालों से मुझे छुड़ा ले,तब मैं तेरे आदेशों पर चलता रहूँगा। 135  तू अपने सेवक पर अपने मुख का प्रकाश चमका*+और मुझे अपने नियम सिखा। 136  मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहती है,क्योंकि लोग तेरा कानून नहीं मानते।+ צ [सादे ] 137  हे यहोवा, तू नेक है+और तेरे फैसले सही होते हैं।+ 138  तू जो हिदायतें याद दिलाता है वे नेक हैं,पूरी तरह भरोसेमंद हैं। 139  मेरे जोश की आग मुझे भस्म कर देती है,+क्योंकि मेरे बैरी तेरे वचन भूल गए हैं। 140  तेरी बातें पूरी तरह शुद्ध हैं+और तेरा सेवक उनसे प्यार करता है।+ 141  मैं न के बराबर हूँ, तुच्छ हूँ,+फिर भी मैं तेरे आदेश नहीं भूला हूँ। 142  तेरी नेकी सदा की है+और तेरा कानून सच्चा है।+ 143  मुसीबतों और मुश्‍किलों के दौर में भीमैं तेरी आज्ञाओं से लगाव रखता हूँ। 144  तू जो हिदायतें याद दिलाता है वे सदा नेक होती हैं। मुझे समझ दे+ ताकि मैं जीता रहूँ। ק [कोफ ] 145  हे यहोवा, मैं पूरे दिल से तुझे पुकारता हूँ, मुझे जवाब दे। मैं तेरे नियमों का पालन करूँगा। 146  मैं तुझे पुकारता हूँ, मुझे बचा ले! तू जो हिदायतें याद दिलाता है उन्हें मैं मानूँगा। 147  मैं भोर से पहले ही* जाग गया ताकि मदद के लिए पुकारूँ,+क्योंकि तेरे वचन मेरी आशा हैं।* 148  रात के पहरों से पहले मेरी आँखें खुल जाती हैंताकि मैं तेरी बातों के बारे में गहराई से सोचूँ।*+ 149  अपने अटल प्यार की वजह से मेरी आवाज़ सुन।+ हे यहोवा, अपने न्याय के मुताबिक मेरी जान की हिफाज़त कर। 150  जो शर्मनाक* काम करते हैं वे मेरे पास आते हैं,वे तेरे कानून से कोसों दूर हैं। 151  हे यहोवा, तू मेरे करीब है+और तेरी सारी आज्ञाएँ सच्ची हैं।+ 152  तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनके बारे में मैंने बहुत पहले सीखा था,जिन्हें तूने इसलिए कायम किया कि वे सदा बनी रहें।+ ר [रेश ] 153  मेरी तकलीफों पर नज़र कर और मुझे छुड़ा ले,+क्योंकि मैं तेरा कानून नहीं भूला हूँ। 154  मेरी पैरवी कर* और मुझे छुड़ा ले,+अपने वादे के* मुताबिक मेरी जान की हिफाज़त कर। 155  उद्धार दुष्टों से कोसों दूर है,क्योंकि उन्होंने तेरे नियमों की खोज नहीं की।+ 156  हे यहोवा, तू बड़ा दयालु है।+ अपने न्याय के मुताबिक मेरी जान की हिफाज़त कर। 157  मेरे सतानेवाले और मेरे बैरी बेहिसाब हैं,+फिर भी मैं उन हिदायतों से नहीं भटका जो तू याद दिलाता है। 158  विश्‍वासघाती लोगों को देखकर मुझे घिन आती है,क्योंकि वे तेरी बातों पर नहीं चलते।+ 159  देख, मैं तेरे आदेशों से कितना प्यार करता हूँ! हे यहोवा, अपने अटल प्यार की वजह से मेरी जान की हिफाज़त कर।+ 160  तेरे वचन में लिखी हरेक बात सच्ची है+और तेरे सभी नेक फैसले सदा तक कायम रहेंगे। ש [सीन ] या [शीन ] 161  हाकिम बेवजह मुझे सताते हैं,+मगर मेरे दिल में तेरे वचनों के लिए श्रद्धा है।+ 162  मैं तेरी बातों पर ऐसे मगन होता हूँ,+जैसे कोई लूट का ढेर सारा माल पाकर मगन होता है। 163  मैं झूठ से नफरत करता हूँ, घिन करता हूँ,+मगर तेरे कानून से प्यार करता हूँ।+ 164  तेरे नेक फैसलों की वजह सेमैं दिन में सात बार तेरी तारीफ करता हूँ। 165  भरपूर शांति उन्हें मिलती है जो तेरे कानून से प्यार करते हैं,+कोई भी बात उन्हें ठोकर नहीं खिला सकती।* 166  हे यहोवा, मैं उद्धार पाने की आशा तुझसे रखता हूँऔर तेरी आज्ञाओं का पालन करता हूँ। 167  तू जो हिदायतें याद दिलाता है उन्हें मैं मानता हूँ,दिलो-जान से प्यार करता हूँ।+ 168  तू जो आदेश देता है और जो हिदायतें याद दिलाता है उन्हें मैं मानता हूँ,क्योंकि मैं जो भी करता हूँ उसे तू अच्छी तरह जानता है।+ ת [ताव ] 169  हे यहोवा, मेरी मदद की पुकार तेरे पास पहुँचे।+ अपने वचन के मुताबिक मुझे समझा।+ 170  मेरी कृपा की बिनती तेरे सामने पहुँचे। तू अपने वादे के* मुताबिक मुझे बचा ले। 171  मेरे होंठों पर तेरी तारीफ के बोल उमड़ते रहें,+क्योंकि तू मुझे अपने नियम सिखाता है। 172  मेरी जीभ तेरी बातों के बारे में गीत गाए,+क्योंकि तेरी सारी आज्ञाएँ नेक हैं। 173  तेरा हाथ मेरी मदद के लिए हमेशा तैयार रहे,+क्योंकि मैंने तेरे आदेशों को मानने का चुनाव किया है।+ 174  हे यहोवा, तेरी तरफ से मिलनेवाले उद्धार के लिए मैं तरसता हूँऔर तेरे कानून से लगाव रखता हूँ।+ 175  मेरी जान सलामत रख ताकि मैं तेरी तारीफ करूँ,+तेरे न्याय-सिद्धांत मेरी मदद करें। 176  मैं एक खोयी हुई भेड़ की तरह भटक गया हूँ।+ तू अपने सेवक को खोज,क्योंकि मैं तेरी आज्ञाएँ नहीं भूला हूँ।+

कई फुटनोट

शा., “काश! मेरी राहें मज़बूती से कायम होतीं।”
या “का अध्ययन करूँगा।”
या “का अध्ययन करता है।”
शा., “मार्ग।”
या “का अध्ययन करूँ।”
या “शर्मिंदा।”
शा., “पर दौड़ूँगा।”
या शायद, “तू मेरे दिल को भरोसा दिलाएगा।”
या “मुनाफे।”
या “तू अपनी कही बात पूरी कर।”
या शायद, “जो तेरा डर माननेवालों से किया जाता है।”
या “अपने कहे।”
या “अटल प्यार।”
या “का इंतज़ार करता हूँ।”
या “खुली।”
या “का अध्ययन करूँगा।”
या “जिसके लिए तूने मुझे इंतज़ार करवाया।”
या “उस घर में, जहाँ मैं एक परदेसी की तरह रहता हूँ।”
या “अपने कहे।”
या “मैं अनजाने में पाप करता था।”
शा., “चरबी की तरह मोटा हो गया है।”
या “मैं तेरे वचन का इंतज़ार करता हूँ।”
या “कहा है।”
या शायद, “झूठ बोलकर।”
या “का अध्ययन करूँगा।”
या “मैं तेरे वचन का इंतज़ार करता हूँ।”
यानी उसकी सृष्टि के सारे काम।
या “परिपूर्ण।”
शा., “बहुत चौड़ी है।”
या “उसका अध्ययन करता हूँ।”
या “उनका मैं अध्ययन करता हूँ।”
शा., “मेरे मुँह की स्वेच्छा-बलियों।”
या “सदा की विरासत।”
शा., “अपना मन झुकाया है।”
या “जिन आदमियों का दिल बँटा हुआ है उनसे मैं।”
या “मैं तेरे वचन का इंतज़ार करता हूँ।”
या “अपने कहे।”
या “शर्मिंदा न होने दे।”
या “तेरी कही नेक बात।”
या “ताए हुए।”
या “तेरे हर आदेश।”
शा., “हाँफता।”
या “दृढ़ कर।”
या “को देखकर मुस्कुरा।”
या “सुबह के झुटपुटे के समय।”
या “मैं तेरे वचनों का इंतज़ार करता हूँ।”
या “का अध्ययन करूँ।”
या “अश्‍लील।”
या “मेरा मुकदमा लड़।”
या “अपने कहे।”
या “उनके लिए कोई ठोकर का पत्थर नहीं है।”
या “अपने कहे।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो