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यहोवा के करीब आना मेरे लिए अच्छा रहा

यहोवा के करीब आना मेरे लिए अच्छा रहा

जब मैं 9 साल की थी, तो मेरे शरीर ने बढ़ना बंद कर दिया। आज मैं 43 साल की हूँ, फिर भी मेरी लंबाई सिर्फ 3 फिट है। जब मेरे मम्मी-पापा को एहसास हुआ कि मेरा कद अब और नहीं बढ़ेगा तो उन्होंने मुझे बढ़ावा दिया कि मैं मन लगाकर काम करूँ, ताकि मैं हर वक्‍त अपने कद के बारे में न सोचती रहूँ। खुद को व्यस्त रखने के लिए मैं घर के सामने फलों का ठेला लगाने लगी और मैं उसे अच्छे से सजाकर रखती थी। इससे ग्राहक ठेले की तरफ खिंचे चले आते थे।

हाँ, यह सच है कि कड़ी मेहनत करने से सब कुछ नहीं बदल गया। मेरा कद अब-भी छोटा ही था। और मुझे छोटे-छोटे काम करने के लिए भी काफी जद्दोजेहद करनी पड़ती थी। जैसे, दुकान में ऊँचाई पर रखा कोई सामान उठाने में मुझे बहुत दिक्कत होती थी। ऐसा लगता था जैसे सबकुछ उन लोगों के लिए बना है जो कद में मुझसे दो गुना बड़े हैं। मुझे खुद पर बड़ा तरस आता था। लेकिन जब मैं 14 साल की हुई, तब मेरा नज़रिया बदल गया।

एक दिन दो औरतों ने मुझसे कुछ फल खरीदे। वे दोनों यहोवा की साक्षी थीं। उन्होंने मुझसे कहा कि क्या मैं बाइबल अध्ययन करना चाहूँगी। बाइबल का अध्ययन करने पर जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि मेरे कद से ज़्यादा यह ज़रूरी था कि मैं यहोवा और उसके मकसद के बारे में जानूँ। इससे मुझे बहुत मदद मिली। मुझे भजन 73:28 सबसे ज़्यादा पसंद है। इस आयत के पहले भाग में लिखा है, “परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है।”

अचानक हमारा परिवार कोटे डी आइवरी से बुरकिना फासो आकर बस गया। अब मेरी ज़िंदगी में बहुत बड़ा बदलाव आया। पहले मैं जहाँ रहती थी, वहाँ के लोग अकसर मुझे ठेले के पास खड़ा देखते थे। उन्हें मैं अजीब नहीं लगती थी। लेकिन अब इस नयी जगह पर मैं एक अजनबी थी और बहुत-से लोगों को मैं बड़ी अजीब लगती थी। लोग मुझे घूर-घूरकर देखते थे। इसलिए मैं कई हफ्तों तक घर से बाहर ही नहीं निकली। तब मुझे याद आया कि यहोवा के करीब रहना मेरे लिए कितना अच्छा था। मैंने यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर को खत लिखा। उन्होंने मेरी मदद के लिए एकदम सही व्यक्‍ति भेजा। वह थी कार्निआ नाम की एक मिशनरी बहन, जो अपने स्कूटर पर मुझसे मिलने आयी।

हमारे इलाके की सड़कें रेतीली थीं और उन पर हमेशा फिसलन रहती थी। बरसात के मौसम में उन पर कीचड़-ही-कीचड़ हो जाता था। जब कार्निआ मुझे अध्ययन कराने आती थी, तो कई बार वह रास्ते में स्कूटर से गिर गयी। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। एक दिन उसने मुझसे सभाओं में चलने के लिए कहा। इससे मुझे एहसास हुआ कि मुझे घर से बाहर निकलना पड़ेगा और लोगों की घूरती नज़रों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, वहाँ की सड़कों पर वैसे ही स्कूटर चलाना मुश्किल था, और मेरे बैठने से और भी मुश्किल हो जाता। फिर भी मैं सभाओं में जाने के लिए राज़ी हो गयी। क्योंकि मुझे अपनी मनपसंद आयत का दूसरा भाग याद आया, जहाँ लिखा है, “मैंने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है।”

कार्निआ और मैं कभी-कभी कीचड़ में गिर जाते थे। लेकिन हमें सभाओं में जाना इतना पसंद था कि हमने इसकी कोई परवाह नहीं की। राज-घर का माहौल दुनिया के मुकाबले कितना अलग था। यहाँ हर चेहरे पर प्यार-भरी मुसकान थी, जबकि बाहर घूरती नज़रें! मैंने नौ महीने बाद बपतिस्मा ले लिया।

मेरी मनपसंद आयत का तीसरा भाग है, “जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूँ।” मैं जानती थी कि प्रचार काम मेरे लिए सबसे ज़्यादा मुश्किल होगा। मुझे अब भी याद है कि जब मैं पहली बार घर-घर प्रचार करने गयी, तब बच्चे और बड़े दोनों ही मुझे घूर रहे थे, मेरे पीछे-पीछे आ रहे थे और मैं जिस तरह चलती थी उसका मज़ाक उड़ा रहे थे। इससे मुझे बहुत दुख हुआ। लेकिन मैं खुद को याद दिलाती रही कि नयी दुनिया की जितनी ज़रूरत मुझे है, उतनी उन्हें भी है। इससे मैं उन मुश्किलों का सामना कर पायी।

अपनी सहूलियत के लिए मैंने तीन-पहियोंवाली एक साइकिल खरीदी जो हाथ से चलायी जाती है। मेरे साथ प्रचार करनेवाली बहन मेरी साइकिल को पहाड़ी पर चढ़ाने के लिए धकेलती थी। पहाड़ी से उतरते वक्‍त जैसे ही साइकिल की रफ्तार तेज़ होती थी, वह जल्दी से साइकिल पर कूदकर बैठ जाती थी। हालाँकि शुरू-शुरू में प्रचार करना चुनौती-भरा था, लेकिन जल्द ही मुझे इसमें मज़ा आने लगा, इतना कि 1998 में मैंने पायनियर सेवा शुरू कर दी।

मैंने बहुत-से बाइबल अध्ययन चलाए और उनमें से चार विद्यार्थियों का बपतिस्मा भी हो गया। इसके अलावा, खुशी की बात है कि मेरी एक छोटी बहन ने भी सच्चाई कबूल की! और जब मैं सुनती थी कि जिनको मैंने सच्चाई बतायी है, वे कितनी तरक्की कर रहे हैं तो मेरा काफी हौसला बढ़ता था, जिसकी मुझे ज़रूरत होती थी। एक बार जब मुझे मलेरिया हो गया था, तभी एक दिन मुझे एक खत मिला। यह खत कोटे डी आइवरी से था, जहाँ हम पहले रहते थे। यहाँ बुरकिना फासो में विश्वविद्यालय के एक विद्यार्थी के साथ मैंने दरवाज़े पर ही बाइबल अध्ययन शुरू किया था। फिर मैंने वह अध्ययन एक भाई को दे दिया। कुछ समय बाद, वह विद्यार्थी कोटे डी आइवरी चला गया। खत से मुझे यह जानकर खुशी हुई कि वही विद्यार्थी अब बपतिस्मा-रहित प्रचारक बन गया है!

आप सोच रहे होंगे, मैं अपना गुज़ारा कैसे चलाती हूँ? एक संस्था जो अपाहिजों की मदद करती है, वहाँ मुझे सिलाई सीखने के लिए बुलाया गया। मैं जिस लगन से काम करती थी उसे देखकर एक टीचर ने कहा, “हमें आपको साबुन बनाना सिखाना चाहिए।” और उन्होंने ऐसा ही किया। अब मैं घर पर ही, कपड़े धोनेवाला और घर के बाकी कामकाज में इस्तेमाल होनेवाला साबुन बनाती हूँ। मेरा बनाया साबुन लोगों को पसंद आता है और वे इसके बारे में दूसरों को भी बताते हैं। मैं तीन-पहियोंवाले अपने स्कूटर से खुद लोगों के घर साबुन पहुँचाती हूँ।

दुख की बात है कि 2004 में कमर में बहुत दर्द होने की वजह से मुझे पायनियर सेवा छोड़नी पड़ी। लेकिन मैं प्रचार में अब भी लगातार जाती हूँ।

लोग कहते हैं कि मेरी मुसकान ही मेरी पहचान है। और क्यों न हो, मेरे पास खुश रहने की ढेरों वजह हैं क्योंकि यहोवा के करीब आना मेरे लिए अच्छा रहा है!—सेरा माइग की ज़ुबानी।