इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

बाइबल क्या कहती है?

प्रार्थना

प्रार्थना

क्या हमारी प्रार्थनाएँ कोई सुनता है?

“हे प्रार्थना के सुननेवाले! सब प्राणी तेरे ही पास आएंगे।”—भजन 65:2.

लोग क्या कहते हैं

ऐसा माना जाता है कि लोगों की पुकार या गुज़ारिश ‘ऊपर परमेश्वर तक नहीं पहुँचतीं।’ जब वे दर्द या तकलीफ झेल रहे होते हैं तो उन्हें यह शक होने लगता है कि क्या वाकई उनकी पुकार परमेश्वर तक पहुँच रही है।

बाइबल क्या कहती है

परमेश्वर “यहोवा की आँखें नेक लोगों पर लगी रहती हैं और उसके कान उनकी मिन्नतों की तरफ लगे रहते हैं। मगर जो बुरे काम करते हैं यहोवा उनके खिलाफ हो जाता है।” (1 पतरस 3:12) जी हाँ, इससे साफ ज़ाहिर है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है, खास तौर से उन लोगों की जो उसकी बतायी राह पर चलते हैं। परमेश्वर हमारी प्रार्थनाएँ सुनने के लिए हरदम तैयार रहता है। इसलिए आयत कहती है, “हमें परमेश्वर के बारे में यह भरोसा है कि हम उसकी मरज़ी के मुताबिक चाहे जो भी माँगें वह हमारी सुनता है।” (1 यूहन्ना 5:14) सच्चे दिल से प्रार्थना करनेवालों को यह जानना ज़रूरी है कि किस तरह की प्रार्थनाएँ परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक हैं।

हमें किस तरह प्रार्थना करनी चाहिए?

‘प्रार्थना करते वक्‍त, बार-बार एक ही बात न दोहराएँ।’मत्ती 6:7.

लोग क्या कहते हैं

अलग-अलग धर्म जैसे बौद्ध, कैथोलिक, हिंदू और इसलाम के माननेवालों को माला जपना सिखाया जाता है, ताकि वे प्रार्थना में अपनी बात दोहरा सकें और उसे गिन सकें।

बाइबल क्या कहती है

प्रार्थनाएँ दिल से की जानी चाहिए। यह ज़रूरी है कि हम प्रार्थना में जो भी बोलें वह सच्चे मन से हो, न कि बिना सोचे-समझे एक ही बात बोलते रहें। शास्त्र कहता है: “प्रार्थना करते वक्‍त, दुनिया के लोगों की तरह बार-बार एक ही बात न दोहरा, क्योंकि वे सोचते हैं कि उनके बहुत ज़्यादा बोलने से परमेश्वर उनकी सुनेगा। इसलिए, तुम उनके जैसे न बनना, क्योंकि परमेश्वर जो तुम्हारा पिता है तुम्हारे माँगने से पहले जानता है कि तुम्हें किन चीज़ों की ज़रूरत है।”—मत्ती 6:7, 8.

ऐसा करना क्यों ज़रूरी है

दरअसल जब प्रार्थनाएँ परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक नहीं की जातीं, तो प्रार्थना करनेवाला मिन्नतें करके शायद अपना समय बरबाद कर रहा होगा या परमेश्वर को नाखुश कर रहा होगा। जो लोग परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक प्रार्थनाएँ नहीं करते, बाइबल उन्हें चेतावनी देती है कि उनकी प्रार्थनाएँ परमेश्वर की नज़र में “घृणित” हैं।—नीतिवचन 28:9.

हमें किससे प्रार्थना करनी चाहिए?

“जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो।”यशायाह 55:6.

लोग क्या कहते हैं

परमेश्वर पर आस्था रखनेवाले कुछ लोग मरियम, स्वर्गदूत या कुछ जान-माने लोग जिन्हें “संत” कहा जाता है, उनसे प्रार्थना करते हैं। वे संतों या गुरुओं से इसलिए प्रार्थना करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे परमेश्वर तक उनकी बात पहुँचा सकेंगे।

बाइबल क्या कहती है

सच्चे उपासकों को “स्वर्ग में” रहनेवाले “हमारे पिता” यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए। (मत्ती 6:9) बाइबल बढ़ावा देती है कि “किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो, मगर हर बात में प्रार्थना और मिन्नतों और धन्यवाद के साथ अपनी बिनतियाँ परमेश्वर को बताते रहो।”—फिलिप्पियों 4:6. ▪ (g14-E 09)