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परिवार के लिए मदद | बच्चों की परवरिश

अपने किशोर बच्चे के लिए नियम कैसे ठहराएँ

अपने किशोर बच्चे के लिए नियम कैसे ठहराएँ

चुनौती

आपका नौजवान बेटा कहता है कि आप बहुत सख्ती से पेश आते हैं। लेकिन आप सोचते हैं, उसकी हिफाज़त करना आपकी ज़िम्मेदारी है। आप खुद से कहते हैं, ‘अगर मैं सख्ती से पेश न आऊँ, तो वह मुसीबत में फँस जाएगा!’

अपने किशोर बच्चे के लिए नियम ठहराना गलत नहीं। लेकिन इससे पहले आपको यह समझने की ज़रूरत है कि क्यों वह आपके ठहराए नियमों से चिढ़ जाता है। a

ऐसा क्यों होता है

झूठ: सभी किशोर अपने माता-पिता के ठहराए नियमों के खिलाफ बगावत करते हैं; बड़े होने पर बच्चे ऐसा ही करते हैं।

सच: जब माता-पिता सोच-समझकर बच्चे के लिए नियम ठहराते हैं और उसके साथ इस बारे में खुलकर बात करते हैं, तो उसके बगावत करने की गुंजाइश कम हो जाती है।

हालाँकि बगावत करने के पीछे कई वजह हो सकती हैं, लेकिन अगर माता-पिता अपने बनाए नियमों को मनवाने पर अड़ जाएँ या बच्चे की उम्र के हिसाब से नियमों में फेरबदल न करें, तो एक तरह से वे खुद उसे बगावत करने के लिए उकसा रहे होंगे। आइए इन दो वजहों पर गौर करें:

  • नियम मनवाने पर अड़ जाना। जब माता-पिता कोई नियम ठहरा देते हैं, और अपने किशोर बच्चे को अपनी राय बताने का कोई मौका नहीं देते, तो उसे लग सकता है कि उसके माँ-बाप उसे काबू में रखने के लिए नियम बना रहे हैं, न कि उसकी हिफाज़त करने के लिए। नतीजा, हो सकता है वह चोरी-छिपे वही काम करे, जिसे करने से उसके माता-पिता साफ मना करते हैं।

  • उम्र के हिसाब से नियमों में फेरबदल न करना। जब एक छोटा बच्चा किसी नियम की वजह पूछता है, तो उसे शायद यह कहना काफी हो, “क्योंकि मैं कह रहा हूँ।” लेकिन अगर बच्चे किशोर उम्र के हों, तो वे उस नियम की वजह जानना चाहते हैं। आखिर आगे चलकर आपका किशोर बच्चा बड़ों की दुनिया में कदम रखनेवाला है, जहाँ उसे खुद बड़े-बड़े फैसले लेने होंगे। कितना अच्छा होगा अगर वह आपके साथ रहते वक्‍त सोच-समझकर सही फैसले लेना सीख ले।

लेकिन अगर आपका किशोर बच्चा हर वक्‍त आपके बनाए नियमों की वजह से चिढ़ा-चिढ़ा रहता है, तब आप क्या कर सकते हैं?

आप क्या कर सकते हैं

पहले आपको इस बात का एहसास होना चाहिए कि किशोर बच्चों के लिए हदें ठहराना ज़रूरी है। दरअसल वे मन-ही-मन ऐसा चाहते भी हैं। इसलिए कुछ हदें ठहराइए और पक्का कर लीजिए कि आपका किशोर उन्हें समझ गया है। किताब प्यार और भरोसा दिखाते हुए छूट दीजिए (अँग्रेज़ी) कहती है, “जब किशोर बच्चों को साफ शब्दों में बताया जाता है कि उनकी हदें क्या हैं, और जब उन्हें पता होता है कि माता-पिता कुछ हद तक उन पर निगरानी रखेंगे, तो शायद ही वे कुछ गलत काम करें।” इसके उलट, ऐसे माता-पिता जो अपने बच्चों की ज़िंदगी में बिलकुल भी दखल नहीं देते और उन्हें खुली छूट दे देते हैं, वे यह जताते हैं कि उनके बच्चे कुछ भी करें, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। इसमें कोई दो राय नहीं कि माता-पिता के ऐसे रवैए से बच्चे बगावत ही करेंगे।—बाइबल सिद्धांत: नीतिवचन 29:15.

तो फिर आप नियम ठहराने के मामले में संतुलन कैसे दिखा सकते हैं? आपने जो नियम बनाए हैं, उनके बारे में अपने किशोर बच्चे को अपनी राय पेश करने का मौका दीजिए। मान लीजिए आपका किशोर बच्चा आपसे घर देर से आने की इजाज़त माँगता है। ऐसे में, जब वह आपको इसकी वजह बताता है, तो उसकी सुनिए। जिन किशोर बच्चों को अपनी पूरी बात कहने का मौका दिया जाता है, वे अकसर अपने माता-पिता के फैसले की इज़्ज़त करते हैं और उसे मानते हैं, फिर भले ही वे उस फैसले से सहमत न हों।—बाइबल सिद्धांत: याकूब 1:19.

लेकिन कोई भी फैसला लेने से पहले यह बात ज़रूर याद रखिए: जहाँ एक तरफ नौजवानों को जितनी आज़ादी मिलनी चाहिए, वे अकसर उससे ज़्यादा की माँग करते हैं, वहीं दूसरी तरफ माँ-बाप अपने बच्चों को जितनी आज़ादी दे सकते हैं, वे अकसर उससे कम ही देते हैं। इसलिए जब आपका नौजवान कोई गुज़ारिश करता है, तो उस बारे में गंभीरता से सोचिए। क्या उसने ज़ाहिर किया है कि वह एक ज़िम्मेदार इंसान है? क्या हालात को मद्देनज़र रखते हुए आप उसे थोड़ी-बहुत छूट दे सकते हैं? जब मुनासिब हो, तो फेरबदल करने के लिए तैयार रहिए।—बाइबल सिद्धांत: उत्पत्ति 19:17-22.

अपने नौजवान की बात सुनने के साथ-साथ, इस बात का भी ध्यान रखिए कि आप उसे बताएँ कि आपके मन में क्या है। ऐसा करके आप उसे सिखाएँगे कि उसे न सिर्फ अपनी, बल्कि दूसरों की भावनाओं का भी लिहाज़ करना चाहिए।—बाइबल सिद्धांत: 1 कुरिंथियों 10:24.

आखिर में, फैसला कीजिए और उसकी वजह बताइए। भले ही वह आपके फैसले से खुश न हो, तब भी मुमकिन है उसे इस बात की खुशी होगी कि उसके माता-पिता उसकी बात सुनते हैं। याद रखिए, बहुत जल्द वह बड़ों की दुनिया में कदम रखनेवाला है। इसलिए सोच-समझकर नियम ठहराइए और अपने किशोर के साथ उनके बारे में चर्चा कीजिए। ऐसा करके आप उसे बड़े होकर एक ज़िम्मेदार इंसान बनने में मदद दे रहे होंगे।—बाइबल सिद्धांत: नीतिवचन 22:6. ◼ (g13-E 03)

a हालाँकि इस लेख में किशोर बच्चे को लड़का बताया गया है, लेकिन इसमें दिए सिद्धांत लड़का-लड़की दोनों पर लागू होते हैं।